CPR का फुल फॉर्म क्या है? Cpr Full Form in Hindi: अक्सर हमें यह सुनने को मिलता है कि किसी पुलिसकर्मी या फिर से सुरक्षाकर्मी ने सीपीआर देकर किसी मरीज की जान बचाई है। न्यूज़ तथा अखबारों में हम यह खबर अक्सर पढ़ते हैं। कि कभी मेट्रो सुरक्षाकर्मी या एयरपोर्ट सुरक्षाकर्मी ने किसी व्यक्ति की सीपीआर के जरिए जान बचाई हो। लेकिन अक्सर लोग यह नहीं जानते कि सीपीआर क्या होता है? CPR का फुल फॉर्म क्या है? Cpr Full Form in Hindi आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि सीपीआर क्या है? हमें इसकी आवश्यकता क्यों होती है? तथा इसका इस्तेमाल कब और कैसे किया जाता है?
Cpr क्या है?
सीपीआर का इस्तेमाल हमेशा एमरजैंसी की हालत में किया जाता है। यह एक मेडिकल थेरेपी है जिसकी मदद से लोगों की जान बचाई जा सकती है। सरल शब्दों में बात करें तो कई बार ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति की किसी भी कारण से अचानक से सांस रुक जाती है या किसी वजह से सांस नहीं आ पाती तो हम इसी थेरेपी का इस्तेमाल करके बेहोश व्यक्ति को साँस दे सकते हैं इस थेरेपी से फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और व्यक्ति की सांस फिर से नॉर्मल हो जाती है। साथ ही इस थेरेपी से शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून भी संचारित होता रहता है।
जैसे यदि किसी व्यक्ति की सांसे या फिर धड़कन रुक जाती है तो पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत ही जल्द खत्म होने लगती हैं। तभी इसका असर दिमाग पर भी होने लगता है जिससे गंभीर स्थिति होने पर कई बार व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में ही सीपीआर थेरेपी दी जाती है। इस थेरेपी से जान बचने की संभावना बढ़ जाती है।
CPR का फुल फॉर्म क्या है? Cpr Full Form in Hindi

CPR का फुल फॉर्म कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन (Cardiopulmonary Resuscitation) इसका इस्तेमाल और सांस ना ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं कि कब और कैसे दिया जाता है CPR थेरेपी।
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कैसे देते हैं CPR थेरेपी?
सीपीआर किसी तरह की कोई दवा या फिर इंजेक्शन नहीं है। बल्कि यह एक थेरेपी है। इस परिस्थिति में व्यक्ति की सांस रुक जाने पर सांस वापस लाने कर या फिर दिल की धड़कन सामान्य हो जानें तक छाती को लगातार दबाया जाता है। ऐसा करने से शरीर में पहले से ही मौजूद खून संचारित होने लगता है साथ ही इस प्रक्रिया से मरीज के मुंह में मुंह से सांस भी दी जाती है।
इस थेरेपी से आपातकालीन स्थिति में कई मरीजों को बचाया गया है। कभी-कभी दुर्घटना की स्थिति में मुंह पर चोट लग जाने की वजह से मुंह से सांस नहीं दी जा सकती लेकिन ऐसी स्थिति में नाक से सांस दी जा सकती है। हालांकि आपको इस थेरेपी को देने से पहले इसकी ट्रेनिंग लेना आवश्यक है यानी कि आपको यह ज्ञात होना चाहिए कि व्यक्ति को सीपीआर की आवश्यकता है या नहीं। आइए जानते हैं शुरू से लेकर अंत तक इस प्रक्रिया को कैसे किया जाता है।
Cpr देने का process
- सबसे पहले मरीज को किसी ऐसी समतल या फिर ठोस जगह पर लिटा देते हैं। जहां वह बिना किसी परेशानी के सीधा लेट सके ध्यान रहे कि मरीज का सिर ऊपर की ओर होना चाहिए।
- मरीज के मुंह में उंगली डालकर यह चेक करें कि उसके गले में कोई वस्तु अटक गई है या नहीं यदि कुछ अटक गया है तो उसे तुरंत निकाल दें।
- यदि किसी मरीज की धड़कन बंद हो गई है तो अपने एक हाथ को दूसरे हाथ के ऊपर रखकर उस मरीज के छाती पर धीरे-धीरे पंपिंग करते हुए दबाएं।
- छाती को लगातार 1- 2 इंच तक की दबाएं और 1 मिनट में कम से कम 100 बार दबाएं।
- यदि आप किसी को अपने मुंह से सांस दे रहे हैं तो 30 बार छाती दबाएं और दो बार कृत्रिम सांस दें।
- ऐसा करने से मरीज की धड़कन वापस से सामान्य हो जाएगी और यदि ऐसा नहीं होता है तो मरीज को कृत्रिम सांस देने की आवश्यकता होती है।
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कृत्रिम साँस कैसे देते हैं?
कभी-कभी सीपीआर देने के बावजूद मरीज की स्थिति सामान्य नहीं होती है तब कृत्रिम साँस देने की आवश्यकता होती है। ऐसे में सबसे पहले मरीज को किसी समतल जगह पर लेटा ददें तथा उसका सिर ऊपर की तरफ कर दें। उसके बाद मरीज़ की नाक को अपनी उंगलियों से दबा लेना है।
फिर अपने मुँह से मरीज के मुंह में साँस देनी है। मुंह द्वारा दी गई साँस सीधा फेफड़ों तक पहुंचती है। लंबी सांस लेकर मरीज के मुंह से अपने मुंह को चिपकाए और धीरे-धीरे साँस छोड़ते रहे ऐसा करने से मरीज के फेफड़ों में हवा भर जाएगी। मुंह से साँस लेते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि मरीज की छाती ऊपर नीचे हो रही है या नहीं जब मरीज की साँस चलने लगे तो इस प्रक्रिया को बंद कर देना चाहिए।
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Cpr कब देना चाहिए?
किसी भी व्यक्ति या मरीज को सीपीआर देने से पहले हमें यह ज्ञात होना आवश्यक है कि सीपीआर कब और किस स्थिति में दी जाती हैं।
- जब किसी वजह से किसी व्यक्ति को साँस लेने में दिक्कत हो या जब वह ठीक से सांस नहीं ले पा रहा है तो इस स्थिति में हम उसे सीपीआर दे सकते हैं।
- पानी में डूबते हुए व्यक्ति की श्वास नलि में पानी भर जाने से उस व्यक्ति को साँस लेने में दिक्कत हो सकती है। ऐसी स्थिति में सीपीआर देने की आवश्यकता पड़ सकती है।
- यदि किसी व्यक्ति को करंट लग गया है तो ऐसी स्थिति में भी धड़कन रुक सकती है या फिर साँस लेने में समस्या हो सकती है तो इस स्थिति में भी सीपीआर देने की आवश्यकता होती है।
- यदि किसी कारणवश कोई व्यक्ति बेहोश हो गया है तो सबसे पहले उसे होश में लाने की कोशिश करनी चाहिए यदि मैं होश में नहीं आता है तब उसे सीपीआर देने की आवश्यकता होती है।
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FAQ
Cpr का full form kya है
CPR का फुल फॉर्म कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन (Cardiopulmonary Resuscitation) होता है।
Cpr क्या है?
जब किसी व्यक्ति की किसी भी कारण से अचानक से सांस रुक जाती है या किसी वजह से सांस नहीं आ पाती तो हम Cpr थेरेपी का इस्तेमाल करके बेहोश व्यक्ति को साँस दी जाती हैं। इस थेरेपी से फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और व्यक्ति की सांस फिर से नॉर्मल हो जाती है।
Cpr कब देनी चाहिए?
करंट लगने के कारण व्यक्ती की धड़कन रुक जाती है या साँस लेने में दिक्कत आने लगती हैं या पानी में डूबने से व्यक्ति की श्वास नलि में पानी भर जाता है और उस व्यक्ति को साँस लेने में दिक्कत आने लगती है तो ऐसे समय पर फौरन ही उस व्यक्ति को cpr देनी चाहिए।
कृत्रिम साँस क्यों दी जाती है?
जब Cpr देने के बावजूद मरीज की स्थिति सामान्य नहीं होती है तब कृत्रिम साँस देने की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष:-
आज के इस लेख “CPR Full Form in Hindi” में आपने जाना कि सीपीआर क्या है? इस की फुल फॉर्म क्या है? साथ ही हमें इसकी आवश्यकता कब और कैसे पड़ती है इस बात की पूरी जानकारी इस लेख में दी गई है। सीपीआर की प्रक्रिया को सही समय पर इस्तेमाल करके हम किसी भी व्यक्ति की जान को बचा सकते हैं। लेकिन इससे पहले हमें सीपीआर कैसे दें कि ट्रेनिंग लेना आवश्यक होता है। उम्मीद है आपको हमारी यह जानकारी अच्छी लगी होगी। यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
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