सोनोग्राफी कैसे करते है? – Sonography Kaise Karte Hai

आज के इस Article में हम आपको बताने जा रहे हैं कि sonography कैसे करते हैं (Sonography kaise karte hai)। दोस्तों किसी भी व्यक्ति के शरीर का अंदरूनी हाल जानने के लिए sonography अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यदि आप भी Sonography क्या है, तथा Sonography कैसे करते हैं और Sonography के फायदे और नुकसान क्या क्या है, यह सभी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं।

क्योंकि आज के इस Article में हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देंगे। तो चलिए शुरू करते हैं। 

Sonography क्या है? (Sonography kya hai)

अधिकतर लोग sonography को pregnancy report का पर्यायवाची समझते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। हालांकि अधिकतर इसका इस्तेमाल गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास जानने के लिए किया जाता है। लेकिन यह भ्रूण imaging करने से कई अधिक है। 

Sonography एक medical imaging test है। इसे कई बार ultrasound के नाम से भी जाना जाता है। sonography द्वारा पेट के अंदरूनी अंगों की परेशानी तथा अनियमितता का पता जल्दी से लगाया जा सकता है। ultrasound में विकिरण का उपयोग नहीं होता। यही कारण है कि यह अन्य imaging साधनों के मुकाबले कई ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। 

निम्नलिखित समस्याएं होने पर आप अपने doctor से ultrasound करवाने की रिक्वेस्ट कर सकते हैं –

  • पेट में दर्द
  • सूजन
  • आंत्र असामान्यताएं 
  • ट्यूमर
  • पथरी (गुर्दे या पित्ताशय की थैली)
  • Fatty liver और 
  • कई अन्य गंभीर चिकित्सा स्तिथियां 

ultrasound करवाने के दौरान निम्नलिखित अंगों की संपूर्ण जांच की जाती है –

  • जिगर
  • आंत
  • अग्न्याशय
  • पित्ताशय
  • तिल्ली
  • गुर्दे
  • पेट की रक्त वाहिकाएं

Ultrasound कैसे काम करता है? (Sonography kaise karte hai)

Ultrasound द्वारा मानव शरीर के अंगों और कोमल उत्तर को में परिवर्तन या फिर असामान्य वृद्धि का पता लगाया जाता है। यह ध्वनि तरंगों के माध्यम से कार्य करता है। मुख्य रूप से इसके 3 घटक होते हैं –

  • एक नियंत्रण कक्ष, 
  • Scan के दौरान ली गई छवियों को दिखाने के लिए एक display
  • एक छड़ी जैसा transducer 

Transducer द्वारा शरीर में तरंगे भेजी जाती हैं। शरीर के अंदरूनी भाग इन्हें ध्वनि तरंगों द्वारा दर्शाए जाते हैं। जब यह तरंगे शरीर से होकर गुजरती है तो उत्तक के घनत्व के अनुसार आकारा तीव्रता में भिन्न हो जाती हैं। Transducer head इन परावर्तित ध्वनि तरंगों को पकड़ लेता है। इन्हीं ध्वनि तरंगों को पकड़कर image create करता है। 

Ultrasound device हमेशा एक computer से connected रहता है। computer द्वारा ही विभिन्न आवृत्ति यों का विश्लेषण किया जाता है और screen पर अंगों की छवियां प्रदर्शित की जाती हैं। जो छवियां हम screen पर देखते हैं उसे sonogram कहा जाता है। 

पेट के ultrasound की तैयारी कैसे करें?

ultrasound sonography करवाने से पहले महत्वपूर्ण है कि आप अपने doctor से एक बार सलाह मशवरा जरूर कर ले। यदि आपका doctor आपको sonography करवाने के लिए कहता है तो ही आप sonography करवाएं।

यदि आप sonography करवाने जा रहे हैं तो आपको sonography करवाने के कुछ घंटे पहले तक ना हीं तो कुछ खाना चाहिए और ना ही तरल पदार्थ लेने चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो sonography में छवियों के धुंधले होने के आसार बढ़ जाते हैं। हालांकि विशेष मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि sonography करवाने से पहले ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है। 

Sonography करवाने के लिए आप एक अच्छे और experienced doctor से appointment ले और appointment के स्थल पर समय से पहले पहुंचे। sonography करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए आप आरामदायक ढीले ढाले व हल्के-फुल्के कपड़े पहने। 

पेट के ultrasound के दौरान क्या उम्मीद करें?

sonography के दौरान एक technician sonography द्वारा आपका प्रशिक्षण किया जाएगा। sonography के दौरान आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

Scan से पहले

sonography करवाने से पहले आपको अपनी कमर व पेट का हिस्सा प्रकट करना होगा। इसके लिए आपको अपने कपड़े उतारने होंगे। अस्पतालों में कई जगह पर आपको गाउन पहनने के लिए भी कहा जा सकता है। कपड़े बदल लेने के बाद technician आपको आरामदायक स्थिति में bed पर लिटा देगा। 

Scan के दौरान

इसके बाद sonography या technician द्वारा आपके पेट के हिस्से पर एक gel लगाया जाएगा। यह gel ध्वनि तरंगों को संचालित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। Gel आपकी त्वचा पर पतला व ठंडा लग सकता है। लेकिन इस gel के कोई side effects नहीं होते हैं तथा इसे आसानी से निकाला जा सकता है। 

इसके बाद जेल लगे हिस्से पर technician transducer का head धीरे-धीरे सरकाता जाएगा। यह करने के दौरान यदि शरीर के किसी मुलायम अंग पर दबाव पड़ता है तो इससे आपको असुविधा का एहसास हो सकता है। लेकिन इसके लिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह कुछ समय में ठीक हो जाता है। इसके बाद technician द्वारा आपको निर्धारित रूप से body movements करने के लिए कहा जा सकता है। 

साफ सुथरा और स्पष्ट चित्र screen पर प्रकट करने के लिए आप अपनी सांसे कुछ समय के लिए रोक सकते हैं। पूरे scan में लगभग आधे घंटे का समय लग सकता है। scan की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद technician आपके शरीर पर लगे gel को पोंछ देगा जिसके बाद आप अपने कपड़े फिर बदल सकते हैं। 

पेट के ultrasound से जुड़े जोखिम क्या हैं?

Sonography एक दर्द रहे प्रशिक्षण है जो कि सुरक्षित होता है और सटीक परिणाम देता है। इसके कोई घातक दुष्परिणाम नहीं है। sonography का प्रशिक्षण एक पेशेवर doctor  द्वारा ही किया जाना चाहिए। sonography, X ray मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होती है क्योंकि इसमें वीकिरणों का इस्तेमाल नहीं होता। 

sonography के दौरान transducer का इस्तेमाल किया जाता है जो कि एक छोटी छड़ी की तरह होता है। इसे त्वचा के साथ चलाया जाता है। यदि transducer head आपके शरीर के किसी कोमल अंग को छूता है तो आप को हल्के से दर्द का एहसास हो सकता है। हालांकि यह दर्द कुछ समय में हीं गायब हो जाता है। 

पेट के ultrasound के संभावित परिणाम क्या हैं?

sonography/ultrasound की report एक radiologist द्वारा analyze की जाती है। यह इस report का विश्लेषण करके व्याख्या करता है, जिसके बाद यह report doctor के पास पहुंचती हैं। 

ultrasound द्वारा पेट और पाचन की समस्याओं का पता आसानी से लगाया जा सकता है। यह निम्नलिखित स्थितियों का पता लगाने में भी अत्यंत कारगर है –

  • पथरी
  • बढ़ी हुई तिल्ली
  • पित्ताशय की पथरी
  • पित्ताशय
  • अग्नाशयशोथ
  • कर्क – पेट, अग्न्याशय, यकृत, आदि।
  • Fatty liver रोग
  • उदर महाधमनी धमनीविस्फार (महाधमनी में एक उभार – आपके पेट में एक रक्त वाहिका)

यदि आपकी ultrasound report abnormal आती हैं तो आप तुरंत अपने doctor  से संपर्क करें। doctor  आपकी sonography report को ठीक तरह से study करेगा और फिर आपकी समस्या पर परामर्श करेगा। आपकी समस्या ठीक करने के लिए आगे अतिरिक्त जांच और उपचार के तरीके पर चर्चा कर सकते हैं। 

Sonography के प्रकार – Types of Sonography in Hindi

sonography के कुल 7 प्रकार होते हैं जो कि कुछ इस तरह है –

  • ट्रांसवैजिनल scan 
  • मानक ultrasound 
  • Advanced ultrasound 
  • डॉपलर ultrasound 
  • 3D ultrasound 
  • 4-डी या गतिशील 3-डी ultrasound 
  • भ्रूण इकोकार्डियोग्राफी

Sonography और लिंग जांच

दोस्तों मेडिकल के क्षेत्र में sonography के invention को 1 milestone माना गया है। इसका इजाद अच्छे कामों के लिए किया गया था और इसका इस्तेमाल भी लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए ही किया जा रहा है। लेकिन आज के समय में भी हमारे समाज में ऐसे कई सारे लोग मौजूद हैं जो कि इसका गलत फायदा उठाते हैं और गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जानने के लिए sonography का इस्तेमाल करते हैं। 

दोस्तों हम आपको बताना चाहेंगे कि भारत में यह कानूनी जुर्म है। और ना हीं तो किसी doctor  को ऐसा करना चाहिए और ना ही लोगों को डॉक्टर्स पर लिंग जांच करने का दबाव बनाना चाहिए। ऐसा करते पाए जाने पर आपको जेल जाना पड़ सकता है और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। 

FAQ 

Sonography किसे कहते है? 

Sonography एक medical imaging test है। इसे कई बार ultrasound के नाम से भी जाना जाता है। sonography द्वारा पेट के अंदरूनी अंगों की परेशानी तथा अनियमितता का पता जल्दी से लगाया जा सकता है।

पेट के ultrasound से जुड़े जोखिम क्या हैं? 

Sonography एक दर्द रहे प्रशिक्षण है जो कि सुरक्षित होता है और सटीक परिणाम देता है। इसके कोई घातक दुष्परिणाम नहीं है।

Sonography के कितने प्रकार है? 

Sonography 7 प्रकार के होते है – ट्रांसवैजिनल scan, मानक ultrasound, Advanced ultrasound, डॉपलर ultrasound, 3D ultrasound, 4-डी या गतिशील 3-डी ultrasound, भ्रूण इकोकार्डियोग्राफी

निष्कर्ष 

तो दोस्तों आज का हमारा यह article यहीं पर समाप्त होता है। आज के इस article में हमने आपको बताया कि sonography कैसे करते हैं (Sonography kaise karte hai) sonography क्या है तथा इसके संभावित दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं।

दोस्तो यदि आपको यह article पसंद आया है तो इसे like और share अवश्य करें। Article से संबंधित कोई भी समस्या या सुझाव आप हमें comment section के द्वारा बता सकते हैं। 

Leave a Comment