ऐसी मान्यता है की इस दिन अयोध्या के राजा श्री राम जी 14 वर्ष का वनवास काटकर वापिस आये थे.
कुछ लोगो के अनुसार इस दिन पांचो पांडव 12 वर्ष का वनवास और १ वर्ष का अज्ञात वास काट कर अपने घर वापिस आये थे.
कई हिन्दू दिवाली को भगवान विष्णु की पत्नी तथा धन समृद्धि की देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ मानते हैं.
इस दिन लक्ष्मी माता प्रसन्न रहती हैं और जो लोग उनकी पूजा करते हैं वे आगे के वर्ष के दौरान मानसिक, शारीरिक दुखो से दूर सुखी रहते हैं.
राजा बलि की दान शीलता से प्रसन्न होकर श्री हरी ने उनसे वर मांगने को कहा तो राजा ने कहा “कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी से अमावस्य तक अत: दीपावली तक इस धरती पर मेरा राज्य रहे,
इन तीन दिनों तक सभी लोग देव दान कर लक्ष्मी की पूजा करे और करता के घर में लक्ष्मी का वास हो. राजा द्वारा याचित वर को देकर भगवान ने बलि को पातळ का राज देकर पातळ भेज दिया.
उसी समय से देव के सम्पूर्ण लोग इस पार्व को मनाते चले आ रहे हैं. अत: सभी प्राणियों के लिए इस पर्व को मनाना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हैं. शुभ दीपावली! ?