अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए 

दूसरा प्राण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना 

तीसरी प्रण शक्ति- हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए. 

चौथा प्रण है- एकता और एकजुटता.  

पांचवां प्रण है- नागरिकों का कर्तव्य, इसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता है, राष्ट्रपति भी बाहर नहीं है और मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं है.' 

पीएम मोदी ने कहा, 'आजादी के इतने दशकों बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है. 

विश्व, भारत की तरफ गर्व और अपेक्षा से देख रहा है. समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर, दुनिया खोजने लगी है.' 

आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है. ये समाज का जनआंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है.'