सबसे अच्छी पंचतंत्र की कहानियाँ Panchatantra stories in hindi

पंचतंत्र की कहानियों (Panchatantra stories in hindi) के बारे में तो आप सब ने सुना ही होगा बल्कि सुना क्या होगा पंचतंत्र की कहानियां आपने अपने जीवन में कभी ना कभी पढ़ी भी जरूर होगी।

पंचतंत्र किसे कहते है (What is Panchatantra)

वैसे लोगों से पंचतंत्र के बारे में पूछने से वे पंचतंत्र की कहानियों के नाम जरूर बता देंगे। लेकिन वास्तव में पंचतंत्र किसे कहते हैं या इसकी रचना किसने की शायद ही किसी को पता होगा। जानकारी के मुताबिक आपको बता दें, कि पंचतंत्र की रचना पंडित विष्णु शर्मा ने संस्कृत भाषा में की थी, जिस का असल नाम नीतिशास्त्र है। पुराने समय में पंचतंत्र को नीतिशास्त्र के नाम से ही जाना जाता था। वर्तमान समय में मिले कुछ उल्लेखों के अनुसार तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास पंचतंत्र की रचना की गई थी।

इस पुस्तक को मुख्य रूप से पांच अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया था, जिसके बारे में हम नीचे बात करेंगे विस्तार से। हालांकि समय के साथ वर्तमान में पंचतंत्र विश्व भर में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है और इसी वजह से आज विश्व भर में तकरीबन 50 से भी ज्यादा अलग-अलग भाषाओं में इस पुस्तक को पब्लिश किया गया है। इस पुस्तक में लिखी कहानियों में लेखक ने मनुष्य के अलावा पशु पक्षी जैसे पात्रों का भी उल्लेख किया है,  जिसके माध्यम से कई शिक्षाप्रद बातें लोगों तक पहुंचाई गई है।

पंचतंत्र का इतिहास (History of Panchatantra)

यह बात आज से लगभग 2000 साल पहले की है, जब किसी जनपद में महिलारोप्य नामक एक नगर बसा हुआ था। जहां के राजा बेहद उदार और पराक्रमी थे, जिनका नाम अमरशक्ति था। राजा अमरशक्ति के 3 पुत्र थे अनंत शक्ति, उग्र शक्ति तथा बहू शक्ति लेकिन राजा के यह तीनों पुत्र दुर्भाग्यपूर्ण काफी उद्दंड और अज्ञानी थे। जिस वजह से राजा हर पल चिंतित रहते थे, हालाकि उन्होंने अपने पुत्रों को व्यवहारिक शिक्षा देने की कोशिश की लेकिन यह कोशिश भी व्यर्थ रही। 

हार मान  कर राजा ने दरबार के सभी मंत्री मंडलों की बैठक बुलाई और कहां की हमारे राज्य में कई नीति विशारद महापंडित, बड़े-बड़े विद्वान और कलाकार मौजूद है। कोई ऐसा उपाय निकालो कि तीनों राजकुमार शिक्षित होकर सही मार्ग पर चले और भविष्य में एक अच्छा राजा बन सके। काफी विचार-विमर्श के बाद राज दरबार के एक मंत्री ने सलाह देते हुए कहा कि हमारे तीनों राजपूत बड़े हो गए हैं, ऐसे में यदि वे  अभी अध्ययन आरंभ करते है  तो काफी समय लग जाएगा। इनके लिए यही सही रहेगा कि किसी संक्षिप्त शास्त्र के आधार पर शिक्षा दी जाए। 

इसलिए क्यो ना उन्हें व्यवहारिक रूप से प्रशिक्षित करने तथा उचित शिक्षा देने का उत्तरदायित्व हमारे राज्य के पंडित विष्णु शर्मा को सौंप दें। विष्णु शर्मा हमारे राज्य में बेहद ज्ञानी और सभी शास्त्रों में पारंगत है, वे कम समय में राजकुमारों को शिक्षित करने में सफल रहेंगे। राजा अमर शक्ति को यह सुझाव पसंद आया और उन्होंने तुरंत महा पंडित विष्णु शर्मा को शिक्षा देने के लिए अनुरोध किया और पंडित विष्णु को अपने राज्य के दक्षिण में मौजूद 100 गांव देने का भी वादा किया।  यह सुनते ही पंडित विष्णु ने कहा कि मैं यह 100 गांव नहीं ले सकता क्योंकि मैं अपने विद्या का विक्रय नहीं करता, इसलिए मैं इन गांव के बदले अपनी विद्या नहीं बेचूंगा। 

लेकिन मैं आपको वचन देता हूं कि मैं 6 महीने के अंदर तीनों राजकुमारों को नीतियों में पारंगत कर दूंगा और यदि मैं यह नहीं कर सका तो भगवान मेरे विद्या को शून्य कर देगा। इतना कहकर पंडित विष्णु तीनों राजकुमारों को लेकर अपने आश्रम आ गए तथा उन्होंने तीनों राजकुमारों को अलग-अलग प्रकार के नीति शास्त्र से जुड़ी कहानियां सुनाईं जिनमें मनुष्य के अलावा अलग-अलग पात्र जैसे पशु पक्षी पेड़ पौधे आदि शामिल थे। पंडित विष्णु अपने विचारों को उन अलग-अलग पात्रों को आधार बनाकर राजकुमारों को उचित अनुचित और व्यवहारिक ज्ञान मैं प्रशिक्षित किया।  राजकुमारों की शिक्षा पूरी होने के बाद पंडित विष्णु ने इन कहानियों को संकलित किया और इसका नाम पंचतंत्र रखा। वर्तमान में मिले प्रमाणों के अनुसार कहा जाता है, कि जिस समय पंचतंत्र ग्रंथ की रचना हुई उस दौरान पंडित विष्णु तकरीबन 80 वर्ष के थे।

पंचतंत्र के भाग (Parts of Panchatantra)

पंडित विष्णु द्वारा रचित पंचतंत्र के संग्रह को पांच अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है, जो कि कुछ इस तरह से हैं। जैसे कि – 

  • संधि – विग्रह यानी काकोलूकियम (कौवे तथा उल्लू की कथा)
  • मित्रभेद (दोस्तों में मनमुटाव तथा अलगाव)
  • लब्ध प्रणाश (यदि मौत नजदीक हो तो क्या करना चाहिए यानी मृत्यु या विनाश के आने पर)
  • मित्र लाभ या मित्र संप्राप्ति (दोस्ती तथा उसके लाभ)
  • अपरिक्षित कारक (जल्दबाजी में कोई भी फैसले ना करें सरल भाषा में कहें तो जिन चीजों को परखा ना जाए उसे करने से पहले सावधान रहें)

पंचतंत्र की कहानियाँ (Panchatantra stories in hindi)

Panchatantra stories in hindi

यहाँ हम पंडित विष्णु शर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र की कुछ कहानियां प्रस्तुत कर रहे हैं, जो लोगों को व्यवहारिकता तथा नैतिकता की सीख देती है। पंडित विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र की कहानियों को बेहद सरल तरीके से समझाया है जिसके माध्यम से लोगों में नेतृत्व क्षमता विकसित करने तथा उन्हें सशक्त बनाने में मदद करती है।

चतुर शेर तथा खरगोश

एक जंगल में बहुत ही ताकतवर शेर रहा करता था, वे हर दिन शिकार करता और अनगिनत जानवरों को मार गिराता था। जिस वजह से  जंगल के सारे जानवर शेर से डरते थे। हालाकि जंगल में रहने वाले बाकी जानवर इस वजह से भी काफी चिंतित थे कि इस तरह से अगर शेर रोज-रोज शिकार करता रहा तो एक दिन  जंगल के सारे जानवर खत्म हो जाएंगे। जंगल के जानवरों ने मिलकर एक उपाय निकाला और जंगल के राजा शेर से खुद मिलने के लिए पहुंचे। यह देखकर शेर चिंतित हो गया और गरज कर पूछा कि तुम सब यहां क्या कर रहे हो ? 

जवाब में जंगल के बाकी जानवरों ने कहा कि आप तो इस जंगल के राजा हैं और हम आपकी प्रजा इसलिए हम चाहते हैं, कि रोजाना जंगल से जानवर आपके पास स्वयं चल कर आए, इससे आपको शिकार करने की भी जरूरत नहीं होगी। यह बात सुनकर शेर बहुत खुश हुआ और इस बात की मंजूरी दे दी। यह सिलसिला इसी तरह चलता रहा लेकिन एक दिन जंगल में रहने वाले एक खरगोश की बारी आई। खरगोश मरना नहीं चाहता था इसलिए उसने तरकीब निकाली और शेर के पास बहुत लेट में पहुंचा चूंकि शेर दिन भर से भूखा था इसलिए खरगोश को देखते ही आग बबूला हो गया। 

क्रोधित होते हुए शेर ने देर  से आने की  वजह पूछी तो खरगोश ने कहा कि मैं तो समय पर आ जाता लेकिन रास्ते में मुझे एक ताकतवर शेर ने रोक लिया जो आप से भी ज्यादा बलवान था। यह सुन कर शेर और भी ज्यादा गुस्से में आ गया और उसने तुरंत ही दूसरे शेर के पास चलने का आदेश दिया। यह सुनते ही खरगोश ने शेर को जंगल के समीप स्थित एक कुएं के पास ले गया। शेर ने कुएं के पास पहुंच कर जोर से गर्जन किया तथा कुएं से अपनी ही प्रतिध्वनि सुनकर शेर को लगा कि कुएं में कोई दूसरा शेर  मौजूद है। इसलिए वह गुस्से में आकर कुएं में कूद पड़ा तथा कुएँ मे पानी जायदा होने के वजह से वह वहीं पर छटपटा कर मर गया। 


एकता में ही बल है 

एक गांव में किसान रहता था, जिसके कुल 6 बेटे थे।  लेकिन उन सभी बेटों की आपस में कभी भी नहीं बनती थी वे हमेशा ही आपस में लड़ते रहते थे। जिस वजह से किसान हमेशा बहुत चिंतित रहा करता था। एक दिन किसान ने अपने सभी बेटों को अपने पास बुलाया और अपने नौकर को लकड़ियों का एक बंडल उनके सामने रखने के लिए कहा। नौकर वैसा ही करता है, उसने लकड़ी का बंडल उठाकर उनके बेटों के सामने रख देता है।  अब किसान अपने बेटों से लकड़ी के उस बंडल को तोड़ने के लिए कहते हैं।

सभी बेटे एक के बाद एक बंडल को तोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन तोड़ना तो दूर कोई बंडल को टेढ़ा भी नहीं कर पाता है। यह देखते हुए किसान ने अपने नौकर से अब उस बंडल को खोलने के लिए कहा, नौकर उस बंडल को खोल देता है। अब किसान अपने बेटों को उस बंडल में मौजूद एक एक लड़कियों को तोड़ने के लिए कहता है। बंडल खुलने के बाद वे लकड़ियों को आसानी से तोड़ देते हैं यह देखते हुए किसान कहता है, की तुम लोगों ने बंडल से एक एक लकड़ियों को तोड़ दिया लेकिन पूरे पंडल को तोड़ पाना तुम्हारे लिए नामुमकिन था। 

ऐसा इसलिए क्योंकि सभी लकड़ियां एक साथ मिलकर मजबूत थी जिसे तोड़ पाना मुश्किल था जबकि अकेली लकड़ी को तुम लोगों ने आसानी से तोड़ दिया। किसान ने अपने बेटों को समझाया कि एकता में ही बल होता है। यदि आपस में मिलकर रहा जाए तो उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। लेकिन अलग-अलग रहोगे तो हर जगह असफल होते रहोगे। यह सुनकर किसान के बेटे रोने लगे और अपने पिता से वादा किया कि वह अब कभी भी आपस में लड़ाई नहीं करेंगे और प्रतिज्ञा ली कि वह हमेशा एक साथ मिलजुल कर ही रहेंगे। 


बंदर और गौरैया

कड़ाके  की ठंड पड़ रही थी, ठंड से बचने के लिए तीन बंदर एक पेड़ के नीचे आश्रय लेने पहुंचे।  उसी पेड़ पर एक गौरैया भी अपना घोंसला बना रही थी। बंदर ठंड से ठिठुर रहे थे, जिस वजह से वे अलग-अलग तरकीबें सोच रहे थे ताकि ठंड से बच सके। उनमें से एक बंदर को तरकीब आई कि क्यों ना आग जलाई जाए इससे ठंड कम हो जाएगी। सभी बंदरों को यह तरकीब पसंद आई और वे आग जलाने के सामाग्री इकट्ठे करने शुरू दिए। एक पेड़ के नीचे काफी सूखी पत्तियां गिरी हुई थी, बंदरों ने उन पतियों को इकट्ठा कर एक ढेर बनाया। लेकिन अब समस्या थी कि उन पत्तियों में आग कैसे लगाया जाए।

तभी एक बंदर की नजर वहां पर उड़ते एक जुगनू पर पड़ी बंदर जुगनू को देखते ही खुशी से उछल पड़ा और कहने लगा देखो हवा में चिंगारी उड़ रही है हम इसे पकड़कर ढेर के नीचे रखकर फूंक मारेंगे जिस से आग लग जाएगी। यह उपाय बाकी दोनों बंदर को भी काफी पसंद आई। वे फौरन ही जुगनू पकड़ने के लिए दौड़ने लगे यह सारी चीजें पेड़ पर बैठी गोरिया देख रही थी। बंदरों को जुगनू को इस तरह पकड़ता देख उससे चुप नहीं रहा गया वह बोल पड़ी कहा, बंदर भाई यह चिंगारी नहीं यह तो एक जुगनू है इससे आग नहीं जलाई जा सकती। 

यह सुनकर बंदर और क्रोधित हो गया तथा वह गौरैया को गुस्से से  देखते हुए कहता है, मूर्ख गौरैया तुम चुप रहो और अपने घोंसले में दुबकी रहो हमें ज्यादा मत सिखाओ हम जानते हैं, कि हम क्या कर रहे हैं। तभी उनमें से एक बंदर उछल कर उस जुगनू को पकड़ लेता है और फिर वह उसे पत्तियों के ढेरों के नीचे रख देता है तथा तीनों बंदर फूंक मारकर पत्तियों में आग लगाने की कोशिश करते हैं। हालांकि गोरिया यह सब देखते हुए भी चुप ना रह सकीं उसने बंदरों को सलाह दी कहा आप लोग गलती कर रहे हैं जुगनू से आग नहीं सुलगेगी।

इससे अच्छा आप दो पत्थरों को आपस में टकरा कर चिंगारी पैदा कर सकते हैं या दो सूखी लकड़ियों को आपस में रगड़ कर चिंगारी पैदा कर सकते हैं तथा पत्तियों में आग सुलगा सकते हैं। लगातार कोशिश करने के बाद भी आग पत्तियों में नहीं सुलग रही थी जिस वजह से बंदर गुस्से से आगबबूला हो रहे थे। इसी बीच गौरैया फिर से बंदरों को सलाह देने की कोशिश करती है लेकिन बंदरों को गौरैया पर और गुस्सा आ जाता है तथा क्रोध में आकर वे गौरैया को जकड़ लेते हैं जिसके वजह से गोरिया छटपटा कर मर जाती है। अंततः कभी भी किसी को बिना मांगे सलाह बिल्कुल नहीं देनी चाहिए खासकर किसी मूर्ख व्यक्ति को क्योंकि उन्हें सलाह या सीख देने से कोई फायदा नहीं होता बल्कि सीख देने वाले को ही अंत में पछताना पड़ता है।

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निष्कर्ष 

आज का यह लेख Panchatantra stories in hindi हम यहीं पर समाप्त करते हैं। उम्मीद करते हैं, कि विश्व की सबसे लोकप्रिय कहानियों का संग्रह पंचतंत्र के बारे में आप अच्छी तरह से जान चुके होंगे। हालांकि  पंचतंत्र की कहानियां विश्व भर में प्रसिद्ध है, लेकिन इसके पीछे छुपे इतिहास के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यहि कारण है कि हमने आज पंचतंत्र के पीछे छुपे इतिहास के बारे में विस्तार पूर्वक बताने का विचार किया।

इसलिए उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा दी गई है जानकारी पसंद आई होगी क्योंकि हमने पंचतंत्र से जुड़ी लगभग सभी महत्वपूर्ण जानकारियां आप तक पहुंचाई है। अंत में आपसे यही निवेदन है, कि यदि आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर करें और यदि इससे जुड़ी कोई अन्य जानकारी आपको चाहिए या आप हमें इससे संबंधित कोई राय देना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट के माध्यम से आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।

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