क्या आप जानते हैं IVF full form in Hindi क्या है ? यदि नहीं तो इस लेख को अंत तक पढ़े क्योंकि हम यहां IVF से संबंधित पूरी जानकारी विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं। जैसे कि आपको पता है, दुनिया में महिलाओं के लिए मां बनने का एहसास सबसे खूबसूरत होता है। यहां तक बुजुर्गों के अनुसार यह भी कहा जाता है, कि जब एक महिला मां बनती है तब उनके जीवन का एक नया अध्याय शुरू होता है। यह किसी भी महिला के लिए काफी सम्मान की बात होती है। लेकिन यदि कोई महिला किसी भी कारण से माँ नहीं बन पा रही है वह निसंतान है, तो ऐसी स्थिति में IVF ट्रीटमेंट का इस्तेमाल किया जाता है। यह साइंस द्वारा तैयार की गई ऐसी टेक्नॉलॉजी है, जिसके मदद से निसंतान दंपत्ति आसानी से माता-पिता बन रहे हैं।
दरअसल दौड़ भाग वाले इस जीवन में अधिकतर पुरुष और महिलाएं दोनों इनफर्टिलिटी के चपेट में आ रहे हैं। जिसकी वजह से निसंतानता लोगों के जीवन की सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। हालांकि कुछ समय से मेडिकल क्षेत्र में आए विकास के कारण ऐसे दंपतियों को इसका काफी फायदा हो रहा है। इसकी वजह से उनके जीवन की कई कमियां पूरी हो रही है। नीचे हम IVF ट्रीटमेंट क्या होता है, IVF ट्रीटमेंट किस प्रकार होता है, तथा IVF full form in Hindi क्या है के बारे में बात करेंगे और साथ ही साथ किन कारणों से यह इनफर्टिलिटी होती है उस पर भी चर्चा करेंगे।
IVF क्या है ? What is IVF in Hindi
शुरुआती दौर में आईवीएफ को टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से दुनिया भर में जाना जाता था। जानकारी के मुताबिक इस ट्रीटमेंट का इस्तेमाल सबसे पहले इंग्लैंड में साल 1970 में किया गया था। जानकारी के अनुसार इस ट्रीटमेंट में पुरुष के स्पर्म और महिला एग्स को आपस में मिलाया जाता है और इन दोनों के संयोजन से भ्रूण बनना शुरू होता है। जिसके बाद इसे महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो सबसे महंगी और मुश्किल प्रक्रिया होती है। लेकिन इसके बावजूद आज कुछ ऐसे दंपत्ति जोड़ी जो माता-पिता नहीं बन पाते हैं उनके लिए काफी मददगार है। वैसे दंपत्ति जो काफी लंबे समय से गर्भधारण की तैयारी कर रहे हैं या किसी अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में सफल नहीं हो पा रहे है तो उनके लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है।
IVF की फुल फॉर्म क्या है? IVF Full Form in Hindi
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IVF Full Form In Hindi | In Vitro Fertilization |
आईवीएफ का फुल फॉर्म क्या है | इन विट्रो फर्टिलाइजेशन |
IVF का फुल फॉर्म इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization) होता है, जिसे टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी शुरुआती समय में जाना जाता था। यह आर्टिफिशियल गर्भधारण की सबसे सरल प्रक्रिया के बिल्कुल विपरीत होता है जैसा कि मैं पहले भी बताया इस प्रक्रिया में आईवीएफ महिला के शरीर के बाहर एग्स और स्पर्म के जोड़े को मिलाया जाता है जो धीरे-धीरे भ्रूण बनता है। एक बार जब इन दोनों के मिश्रण से भ्रूण तैयार होता है तब इसे सरोगेट माता के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
यह एक महंगी प्रक्रिया होती है, लेकिन आज यह कई निसंतान दंपत्ति जोड़ों के लिए नई उम्मीद लाने में कामयाब रहा है। जानकारी के अनुसार वर्तमान समय में करीबन 30 से 35% आईवीएफ ट्रीटमेंट सफल हुए है। रिपोर्ट के अनुसार सबसे पहली सफलता इसे तब मिली थी, जब आईवीएफ ट्रीटमेंट के द्वारा लुइस ब्राउन नमक बच्चे का जन्म मां के गर्भ के बाहर किसी अन्य गर्भ से पैदा हुआ था। यह सफलता मेडिकल साइंस के लिए एक नई खोज और बांझपन से जूझ रहे दंपति के लिए एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया था।
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IVF प्रक्रिया कब की जाती है?
बहुत से ऐसे कारण होते हैं जिसकी वजह से डॉक्टर आईवीएफ प्रक्रिया करने की सलाह देते हैं। उसके बारे में हम नीचे बात करेंगे। जैसे कि –
- जीवित रहने के लिए शुक्राणु की क्षमता
- दूसरे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में असफल हो जाना।
- स्पर्म कम होने की स्थिति में भी IVF ट्रीटमेंट लेने की सलाह दी जाती है।
- एंटीबॉडी की समस्या जोकि अंडाणु और शुक्राणु को नुकसान पहुंचाती है।
- गर्भाशय या फेलोपियनट्यूबो के साथ भी समस्या हो सकती है।
- कम शुक्राणुओं की गणना के कारण भी समस्या होती है
- PCOD जैसी गंभीर स्थिति के कारण ओव्यूलेशन की समस्या
- दंपत्ति जोड़ों में से किसी ने नसबंदी कराई हो।
जानकारी के अनुसार आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने के लिए आप डोनर स्पर्म और डोनर एग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह खासतौर पर उन दंपत्ति जोड़ों के लिए फायदेमंद होता है, जो कि किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है और वे यह नहीं चाहते कि उनकी बीमारी उनके बच्चों में जाए। जैसे कि पुरुष या महिला कोई भी कैंसर से पीड़ित हो तो ऐसी स्थिति में अपने स्वस्थ अंडे या शुक्राणु को आईवीएफ की मदद से भविष्य के लिए बचा सकते हैं और ऐसा करने के पीछे वजह यह होती है, कि कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी और रेडियोथैरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि प्रजनन क्षमता को बुरी तरह से चोट पहुंचाती है। कैंसर के ट्रीटमेंट के बाद इन स्पर्म और एग को आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि इस ट्रीटमेंट को लेने से पहले अपने डॉक्टर से मशवरा जरूर करें और आईवीएफ सेंटर का चुनाव भी काफी सोच समझ कर करें।
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IVF ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट
वैसे तो कहा जाता है, कि आईवीएफ ट्रीटमेंट सबसे सुरक्षित ट्रीटमेंट है। लेकिन इसके बावजूद कुछ महिलाओं के लिए इस ट्रीटमेंट को लेना काफी पीड़ादायक हो सकता है, क्योंकि कभी-कभी आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने से कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं। जैसे कि –
- पेट फूलना
- हल्के क्रैम्पसना
- इस प्रक्रिया के बाद ब्लड के रंग का फ्लूड पास होना
- स्तन की कोमलता
- कब्ज की समस्या
- पेल्विक पैन
- हेवी वेजाइनल ब्लीडिंग
- 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बुखार आना
- यूरिन में ब्लड आना
- ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम की समस्या
- पेट में दर्द
- सर दर्द
- मिजाज में अचानक परिवर्तन आना
ध्यान रहे ऊपर बताए गए साइड इफेक्ट में से यदि कोई भी लक्षण आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने के बाद आप महसूस करते हैं, तो आपको तुरंत ही अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि कभी-कभी यह साइड इफेक्ट काफी ज्यादा नुकसानदेह हो सकते हैं, जिससे कि हालत गंभीर रूप से पर बिगड़ सकती है।
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IVF Full Form in Hindi से जुड़े FAQ
IVF full form in Hindi क्या है?
IVF full form, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilizitation) होता है। जिसे पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जाना जाता था।
सबसे पहले IVF की शुरुआत कब हुई थी ?
IVF ट्रीटमेंट का इस्तेमाल सबसे पहले इंग्लैंड में साल 1970 में किया गया था।
IVF ट्रीटमेंट कब लिया जाता है?
स्पर्म कम होने की स्थिति, दंपत्ति जोड़ों में से किसी ने नसबंदी कराई हो, दूसरे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में असफल हो जाना तथा जीवित रहने के लिए शुक्राणु की क्षमता में कमी के कारण इस ट्रीटमेंट को लेने की सलाह दी जाती है।
IVF लेने के Side Effects क्या है?
IVF ट्रीटमेंट लेने के बाद स्तन की कोमलता, कब्ज की समस्या, पेल्विक पैन, हेवी वेजाइनल ब्लीडिंग आदि जैसे Side effect देखने को मिलते है।
निष्कर्ष
तो जैसा कि आज के इस लेख में हमने जाना कि IVF क्या है, IVF full form in Hindi क्या है और IVF ट्रीटमेंट कब लिया जाता है? उम्मीद करते हैं, कि आपके लिए हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी काफी लाभदायक रही होगी और ऊपर दिए गए महत्वपूर्ण बातों से आपको बहुत कुछ सीखने को भी मिला होगा। अंत में मैं आपसे यही निवेदन करता हूं कि यदि आपको यह लेख पसंद आई है तो इसे शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को आईवीएफ के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके क्योंकि आज के समय में आईवीएफ बांझपन दंपति जोड़ों के लिए काफी मददगार है ऐसे में इसकी जानकारी होना हर किसी के लिए बेहतर है।