वैसे तो यह हर कोई जानता है, कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है लेकिन समय-समय पर भारत को हिंदुत्व राष्ट्र बनाने के लिए कई मांगे उठाई गई हैं और इसी वजह से कई ऐसे संगठन भी बनाए गए हैं, जो कि भारत की संस्कृति धरोहर और विचारों को मजबूत बनाने के लिए औपचारिक रूप से हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार प्रसार करें। हालांकि भारत में कई ऐसे संगठन है, जो कि अपने हिंदुत्ववादी विचारधारा और कट्टरता को बढ़ाने का कार्य कर रहा है। वर्तमान समय में RSS भारत का सबसे प्रमुख एवं सबसे बड़ा संगठन है। जो कि न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी शाखाएं खोलने में कामयाब रहा है यदि आंकड़ों को देखा जाए तो आज आरएसएस विश्व भर में सबसे मजबूत संगठनों में से एक है।
RSS देश का एक ऐसा संगठन है, जहां हिंदू धर्म से संबंधित कोई भी व्यक्ति इस संगठन का सदस्य बन सकता है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि RSS क्या है? (RSS full form in Hindi)? RSS का इतिहास क्या है आदि। इस लेख में RSS संगठन से जुड़े सभी प्रकार की जानकारी देने की पूरी कोशिश की गई है यदि आप भी RSS संगठन के बारे में नहीं जानते है तो इस लेख को पूरा अवश्य पढ़ें।
RSS क्या है?
RSS भारत का एक हिंदू राष्ट्रवादी अर्धसैनिक स्वयंसेवक संगठन है। यह संगठन बीबीसी के अनुसार विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। जिसकी स्थापना डॉक्टर केशव बलीराम हेडगेवार ने कुल 4 लोगों के साथ मिलकर की थी। आपको बता दें, कि जिस दिन RSS संगठन की स्थापना हुई थी उस दिन विजयदशमी का दिन था इसी वजह से आज भी दशमी के त्यौहार को राष्ट्र संघ के द्वारा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में विश्व के करीब 100 देशों में RSS की दैनिक शाखाएं मौजूद है, इसी वजह से आज तमाम देश के सबसे बड़े संघ के रूप में RSS स्थापित हो चुका है। फिलहाल RSS के अध्यक्ष या सारसंघचालक श्री मोहन भागवत जी हैं, जो कि एक मराठी है। RSS का वर्तमान में मुख्यालय नागपुर महाराष्ट्र में स्थित है और इस समय यह देश की सबसे मजबूत संगठनों में से एक है। जानकारी के मुताबिक RSS की अधिकारिक भाषा संस्कृत और हिंदी है।
RSS का फुल फॉर्म क्या है? RSS full form In Hindi
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RSS का Full Form “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” है। जिसकी स्थापना 27 सितंबर साल 1925 में गई थी। यह एक गैर सरकारी संगठन है, भले ही संगठन की स्थापना 1925 ईस्वी में कर दी गई थी लेकिन इस संगठन का नामकरण 17 अप्रैल 1926 में किया गया था। जिसमें कई विकल्प दिए गए थे लेकिन उनमें से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम का ही चुनाव किया गया। धीरे-धीरे इस संगठन ने कई दैनिक शाखाओं को अलग अलग स्थानों पर खोला और देखते ही देखते आज यह भारतवर्ष में पूर्ण रूप से फैल गया है न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी इस संगठन ने अपनी पैठ बनाने में कामयाब रहा है।
जानकारी के मुताबिक शुरुआती समय में केशव बलिराम हेडगेवार ने जब 5 लोगों के साथ इस शाखा को खोला था तब उनमें सभी 5 लोग बच्चे थे। जिस वजह से हेडगेवार जी का काफी मज़ाक भी बनाया गया था, लोगों का कहना था कि बच्चों को लेकर हेडगेवार जी क्रांति करने आए हैं। लेकिन अब यदि देखा जाए तो यह संगठन विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी और हिंदू संगठन बन चुका है। आंकड़ों के अनुसार आज तकरीबन 100 देशों में RSS की लगभग 57,000 शाखाएं स्थित है, जिसमें 50 लाख से भी अधिक स्वयंसेवक जुड़े है। जिससे की आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं, कि आज विश्व भर में RSS का क्या मुकाम है ।
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RSS की स्थापना का उद्देश्य
RSS की स्थापना करने का उद्देश्य हिंदू अनुशासन के माध्यम से चरित्र प्रशिक्षण प्रदान करना और हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए हिंदू समुदाय को एकजुट करना था।
यह संगठन बहुसंख्यक हिंदू समुदायों को एकजुट करने के लिए हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार करता है।
प्रारंभ में यह एक संगठन था धीरे-धीरे इसने अपने साथ-साथ कई ऐसी विचारधारा क्लबों और संस्थानों का संगठन किया जिससे कि इसकी वैचारिक मान्यताओं का प्रचार हो सके।
RSS संगठन का कहना है, कि समय के अनुसार देश की संस्कृति कहीं खोते जा रही है इसी वजह से RSS देश की संस्कृति तथा सभ्यता को बरकरार रखने के लिए लोगों को प्रेरित करता है ताकि लोगों को देश के प्रति प्रेम उत्पन्न हो सके। RSS का उद्देश्य यह भी था कि भारतीय संस्कृति को हमेशा बनाए रखना और वेस्टर्न कल्चर को देश में हावी होने से बचाना था।
RSS की संरचना
RSS के संगठन में अलग-अलग प्रकार के पद हैं, जिस पर समय-समय पर अलग अलग व्यक्ति नियुक्त किए जाते हैं। RSS संगठन में सबसे ऊंचा पद सरसंघचालक का होता है यह पूरे संघ का दिशा निर्देशन करते हैं।
एक सरसंघचालक ही अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता है वर्तमान समय में RSS संगठन के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत हैं।
आर एस एस संगठन का ज्यादातर कार्यों का निष्पादन शाखा के माध्यम से ही किया जाता है, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर सुबह या शाम के समय 1 घंटे के लिए स्वयंसेवकों का मिलन होता है। वर्तमान समय में देखा जाए तो भारत में संघ की लगभग 57 हजार से ज्यादा शाखाएं लगती हैँ। प्रत्येक शाखाओं में सामान्य गतिविधि जैसे खेल, वंदना, योगा और भारत तथा विश्व के सांस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक चर्चा की जाती है।
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RSS की शाखा कैसे लगती है
RSS की शाखा किसी खुले मैदान या सार्वजनिक पार्क में 1 घंटे के लिए लगती है, इसमें सूर्य नमस्कार, खेल, व्यायाम, परेड तथा गीत और प्रार्थना होती है। जिसके बारे मे हम नीचे विस्तार से बता रहे है –
प्रभात शाखा:-
सुबह के वक्त लगने वाली शाखा को “प्रभात शाखा” कहते हैं।
सायं शाखा:-
शाम को लगने वाली शाखा को “सांय शाखा” कहा जाता है।
रात्रि शाखा:-
रात के समय लगने वाली शाखा को “रात्रि शाखा” कहते हैं।
मिलन:-
जो शाखा सप्ताह में एक या दो बार लगती है उसे “मिलन” कहते हैं।
संघ मण्डली:-
महीने में एक या दो बार लगने वाले शाखा को “संघ मंडली” कहा जाता है।
पूरे भारत में लगभग 57,000 से अधिक शाखाएँ लगती हैँ। भारत के अलावा विदेशों में भी शाखाओं का कार्य चलता है विदेशों में यह “भारतीय स्वयंसेवक संघ” या फिर “हिंदू स्वयंसेवक संघ” के माध्यम से चलाई जाती है। यह संघ लगभग दुनिया के 100 देशों से भी अधिक देशों में कार्यरत है। संघ के लगभग 50 से भी ज्यादा संगठन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हैँ।
शाखाओं में शारीरिक और बौद्धिक क्रियाओं के साथ-साथ स्वयंसेवकों का पूर्ण विकास भी किया जाता है। जो भी व्यक्ति शाखा में अपनी इच्छा से उसका सदस्य बनता है वह स्वयंसेवक कहलाता है। कई संगठन ऐसे हैं जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित होकर स्वयं को संघ परिवार के सदस्य बताते हैं।
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RSS के कार्य
RSS संगठन ने हिंदू धर्म में सामाजिक समानता के लिए दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को मंदिर में पुजारी पद के प्रशिक्षण का पक्ष भी लिया है। साथ ही इनका मानना है कि हिंदू मूल्यों के हनन का मुख्य कारण सामाजिक वर्गीकरण है।
दादरा नगर हवेली और गोवा के भारत में विलय में संघ की बहुत बड़ी भूमिका थी। 21 जुलाई 1954 को दादरा को पुर्तगालियों से मुक्त कराया गया और 28 जुलाई को नरौली तथा फिपरिया मुक्त कराए गए।
संघ ने 2 अगस्त 1954 को सुबह मध्यकाल का झंडा होता तो भारत का तिरंगा फहराया स्वयं सेवकों ने पुर्तगालियों के कब्जे से दादर और नागर हवेली को मुक्त कराकर भारत को सौंप दिया।
इसी प्रकार वर्ष 1955 में गोवा मुक्ति संग्राम में संघ बुरी तरह से शामिल हो चुका था। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के इनकार करने के बाद भी जगन्नाथ राव जोशी के नेतृत्व में संघ के कार्यकर्ताओं ने गोवा पहुंचकर आंदोलन शुरू कर दिया परिणाम स्वरूप कार्यकर्ताओं को 10 वर्ष की सजा भी हुई। अंत में हालात बिगड़ने पर भारतीय को सैनिक हस्तक्षेप करना पड़ा 1961 में गोवा को स्वतंत्र करा लिया गया।
25 जून 1975 को भारत में लगाए गए आपातकाल के विरुद्ध संघ के स्वयंसेवकों ने आंदोलन किया। उस समय आंदोलन में भाग लेकर जेल जाने वाले सत्याग्रही स्वयंसेवकों की संख्या डेढ़ लाख से भी अधिक थी।
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आलोचनाएँ तथा आरोप
महात्मा गांधी की हत्या एक संघ सदस्य नाथूराम गोडसे के द्वारा की गई थी, इसके बाद ही संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन बाद में संघ को इन आरोपों से बरी करके प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया था। संघ के आलोचक संघ को एक अतिवादी दक्षिणपंथी संगठन बताते हैं। इस संघ की एक हिंदूवादी और फासीवादी संगठन के तौर पर आलोचना भी की जाती रही है।
RSS की प्रार्थना
जानकारि के मुताबिक RSS की प्रार्थना भी है जिसे प्रत्येक शाखा में किया जाता है (“नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे अर्थात् आपके सामने शीश झुकाता हूं) संघ के प्रत्येक शाखा में इस प्रार्थना को अनिवार्य रूप से गाया जाता है और ध्वज के सम्मुख नमन किया जाता है। जबकि लड़कियों की शाखा राष्ट्र “सेविका समिति” और विदेशों में लगने वाले हिंदू स्वयंसेवक संघ के प्रार्थना अलग होती हैं।
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FAQ
RSS का full form क्या है?
RSS की Full Form “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” है।
RSS क्या है इसकी स्थापना कब हुई?
RSS एक संगठन है, जिसकी स्थापना 27 सितंबर साल 1925 में हुई थी।
वर्तमान में RSS के अध्यक्ष कौन है ?
RSS के अध्यक्ष नहीं होते हैं बल्कि सारसंघचालक होते हैं और वर्तमान में RSS के संघचालक श्रीं मोहन भागवत जी है।
RSS की स्थापना किसने की थी ?
RSS के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार थे।
कौन लोग बन सकते है RSS के सदस्य?
जानकारी के अनुसार केवल हिन्दू सामाज से ताल्लुक रखने वाले लोग ही RSS संगठन का हिस्सा बन सकते हैं।
निष्कर्ष:-
दोस्तों आज का यह लेख हम यहीं पर समाप्त करते हैं उम्मीद करते हैं, कि आपको हमारे द्वारा दी गई आज की यह जानकारी RSS full form in Hindi काफी पसंद आई होगी, क्योंकि आज के इस लेख में हमने आपको देश के सबसे मजबूत संगठन आर एस एस के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी है और हम उम्मीद करते हैं, कि इस लेख को आप जितना हो सके उतना शेयर करें ताकि वैसे लोग जो RSS संगठन के बारे में अधिक नहीं जानते हैं उन्हें भी इस संगठन के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके। इसके अतिरिक्त यदि आपको इस लेख से संबंधित कोई और जानकारी चाहिए या अपनी कोई राय हम तक पहुंचानी है, तो आप नीचे कमेंट के माध्यम से हम से संपर्क कर सकते हैं।